जाने कहाँ से बहता हुआ एक भूला सा लम्हा, लहरों के सहारे किनारे तक उतर आया. आँखों में बंद उन गुदगुदाते पलों की यादें पैरों पर आती रेत में बहा लाया. सोचें तो, आती-जाती इन लहरों ने जाने कितने ही घरौंदे बिखेरे होंगे कई मुस्कुराहटें और कई उम्मीदों के टीले…